अग्निपथ

वृक्ष हों भले खड़े,

हों बड़े, हों घने,

एक पत्र छाँह भी

मांग मत! मांग मत! मांग मत!

अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

तू न थकेगा कभी,

तू न थमेगा कभी,

तू न मुड़ेगा कभी,

कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!

अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

यह महान दृश्य है,

देख रहा मनुष्य है,

अश्रु, स्वेद, रक्त से

लथ-पथ, लथ-पथ, लथ-पथ,

अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
 हरिवंशराय बच्चन – Harivansh Rai Bachchan

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